चढ़ती थी उस मज़ार पे चादरे बेशुमार,, बाहर पड़ा एक फ़क़ीर सर्दी मै मर गया मै किसी मज़हब, धर्म को गलत या बुरा नहीं कह रहा हु,, बस गरीबों की मदद भी एक धर्म है