रुख़सत लूँ जब मेहेंदी लगाना मत मुझे.. ज़माने से मिलके रुलाना मत मुझे.. मुद्दतों जागती रही जिसकी तलाश में.. मिले तो इस नींद से उठाना मत मुझे.. रूह को पुकार लेना एक बार आहिस्ता से.. दुनियादारी की शोर सुनाना मत मुझे.. वो पसंदीदा गज़ल ओढ़ा देना कफ़न सा.. जानेमन ‼️यूँ अकेले जलाना मत मुझे.. ©Rooh #Rose ##rooh##rooh##कफ़न सा गज़ल##❤️❤️