हसरत ऐ ज़िन्दगी फलक पर कयाम करती ह वो अपनी ज़िन्दगी जाने क्यों मेरे नाम करती ह बिखर जाता हु हर रोज में खुशबू की तरह ये दुन्या फिर भी मुझे बदनाम करती ह उलझनो का काफिला हर वक्त ह सर पर दुवाए साथ ह माँ की मुझे आबाद करती ह सितारे अपनी चाहत के सजादु आसमानों में मगर नफरत की दुन्या तो इसे नापेद करती ह हुकुमत ने सियासत को बना डाला ह इक दलदल जो उतरेगा वो डूबेगा उसे बर्बाद करती ह ज़माने की वफ़ा देखि जफा अपनों ने की अमजद मिला के खाक में अरमां बरहम पैदा करती ह अमजद निगार निर्देशक Dr.Amjad Nigar