a-person-standing-on-a-beach-at-sunset क्यू हर बार दर्द मुझे चुनता हैं। या क्यू हर बार मैं दर्द को चुनती हू।। क्यू हर बार मैं सपने सजाती हू। क्यू हर बार तुझे अपना बनाती हू।। तू हर बार दिल तोड़ जाता है। सूनी में राहों में तन्हा छोड़ जाता है।। मैं फिर से तुझसे दिल लगाती हू। तू फिर से दिल तोड़ जाता हैं।। या तो नासमझ है तू या तेरा दिल पत्थर का हैं। मेरी बेबसी को तू वक्त गुजारने का जरिया बनाता है।। ©Radha Chandel #, जाने क्यू