ख़्वाबों में भी बस ख़ुद को ही देखता हूँ मैं तन्हाई के माइनों में आजकल शुमार हूँ मैं दिन कट जाता है न बातें ही खत्म होती हैं ख़ुद पे चढ़ा इश्क़ का अजब खुमार हूँ मैं खुमार