चाय को मेने इश्क का हक दे दिया फिर भी शराब ने तन्हाई की चादर ओढ रखी हे दोस्तने तेरे बारे मे बताया तुने शादी की तारीख तेर करके रखी हे रातभर जागता हू के कभी याद तुझे आ जाये रोज चांद से मिलता हू के कभी नसीब की सुबह हो जाये पर आज मे तुमसे नफरत भी करता हु पर बदूवा नही देता के तु बरबाद ना हो जाये के तुझसे अब बात करु एसे हालात थोडी हे मे रोऊ या मर जाऊ तेरे जज्बात थोडी हे हा मे तुझे भुलाकर फिरसे इश्क कर सकता हू पर दिल का मरीज हु मोहब्बत का इलाज थोडी हे #युगेंद्र अशोक काकडे. ©Yugendra Kakade #Hopeless