-मिशाल अमरता की- रात ये कह रही है सो क्यों रहा है तू... मंजिलों से दूर अपने भटक क्यों रहा है तू... सब जब सो रहे हैं केवल तू जागता रेह.. लक्ष्य की ओर अपनी आहिस्ते कदम बढ़ाता रेह.. अभी कोसों दूर हैं मंजिलें सो के क्या तू पा लेगा.... अपने लक्ष्य की ओर निकल समय से जल्दी पा जायेगा.. उचाईयां शिखर की जब तू पा जायेगा... दुनिया की नजरों में नई तू इक मिशाल बन जायेगा.. तब जीत का डंका तेरा जगत में चहुं ओर गूंजेगा... फिर नाम तेरा युगों युगों तक अमरता को पा जायेगा... प्यारे अमरता को पा जायेगा.. - Amar anand #प्रेरणास्रोत