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स्व रचित रामायण का एक छन्द:- गुरु ध्यान करूँ, रज

स्व रचित रामायण का एक छन्द:-

गुरु ध्यान करूँ, रज शीश धरूँ,
अब आश करूँ तेरे आवन की।
साधू का स्वभाव कपास समान,
प्रभु भक्ति है गंगा पावन सी।
वो वृक्ष हरा भी सूख गया
 उसे चाह रही थी सावन की।
प्रिय-अंक भी ऐसे ही सूख रहा 
मुझे चाह तेरे गन गावन की।

©PRIYANK BENIWAL स्व रचित रामायण का एक छन्द:-



#NojotoRamleela
स्व रचित रामायण का एक छन्द:-

गुरु ध्यान करूँ, रज शीश धरूँ,
अब आश करूँ तेरे आवन की।
साधू का स्वभाव कपास समान,
प्रभु भक्ति है गंगा पावन सी।
वो वृक्ष हरा भी सूख गया
 उसे चाह रही थी सावन की।
प्रिय-अंक भी ऐसे ही सूख रहा 
मुझे चाह तेरे गन गावन की।

©PRIYANK BENIWAL स्व रचित रामायण का एक छन्द:-



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