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मन का दीप लाखो तारे आसमान में एक मगर ढूँढे न मिला

मन का दीप लाखो तारे आसमान में एक मगर ढूँढे न मिला
देख के दुनियां की दीवाली दिल मेरा चुप चाप जला
मन का दीपक जब टूट चुका 
मेरा सब कुछ  जब मिट चुका
बोलो भगवन
मैं कैसे समेटूं उन समशान की राखो को
जो मेरी सारी खुशियाँ को जला कर बुझ चुका 
मन का दीपक बुझ चुका
नर्गिस बेनूरी (बेज़ार) पापा बहुत याद आती है आपकी
मन का दीप लाखो तारे आसमान में एक मगर ढूँढे न मिला
देख के दुनियां की दीवाली दिल मेरा चुप चाप जला
मन का दीपक जब टूट चुका 
मेरा सब कुछ  जब मिट चुका
बोलो भगवन
मैं कैसे समेटूं उन समशान की राखो को
जो मेरी सारी खुशियाँ को जला कर बुझ चुका 
मन का दीपक बुझ चुका
नर्गिस बेनूरी (बेज़ार) पापा बहुत याद आती है आपकी