तू मेरी सोच थी की ख्वाब थीं। मेरी ज़िंदगी की हिसाब थीं। मेरी मुश्किलो की अक्स थीं। याद न हो तो.....मेरा गुमान थी। वो सोच नही मेरा था , जिसने मुझे जुबान, दिल, जान दी। वो जिसे जुबान न बयां कर सके। वो दिल जिसे मना न सके। वही जान जिसे लगा न सके। कभी मिल तो बताए हम। कभी इस तरह से सताए हम। तेरा इश्क तुझ से छीन के हम हो जाये हम। तुझे दर्द दु तो तू सह न सके। तुझे दु जुबान कुछ न कह सके। तुझे मुश्किलो में घिरा के कोई आएसा रास्ता निकाल दूं। तेरे दर्द की मैं दवा बनूँ.। तेरी हर नजर को अपना नूर दु। तेरे एक होने में शक नही। मेरे नीयत को तू साफ कर। तेरे शान में कोई कमी नही.। आएसा मुझे प्यार कर। ©Sanjay kumar मुझे प्यार कर।