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जज़्बात पे अब क्या वाह करुँ। जो समझू तुझे, बस आह भर

जज़्बात पे अब क्या वाह करुँ।
जो समझू तुझे, बस आह भरूँ। 
ये जो कैद हैं आँखों में समन्दर,
आज बह जाने दे मेरे 'एहबाब'।

ये जो तेरे मोती से अश्क़ बहते हैं,
मुझे कहीं ज्यादा तक़लीफ देते हैं।
तुझसे कोई नाता नहीं है फिर भी,
तेरे आँसू मेरी आँखों से बहते है।

कह दे तू, कस के गले लगा लूँ,
तेरे हर गम को अपना बना लूँ।
जो कभी तुझे चाहिये हो साथ,
मै पहिया, तुझे मेरा रथ बना लूँ।

हसरत नहीं मेरी तुझे पाने की,
ना चाहत पलकों पे बैठाने की।
चाह के भी कुछ ना कर सकूँ,
दुआ है बस तेरी हर खुशी की। तुम। हाँ तुम। तुमसे कह रहा हूँ।  पता है नहीं पढ़ोगी तुम। पढ़ती ही कहाँ हो। पर अगर पढ़ोगी तो समझ जाओगी ये तुम्हारे लिये ही लिखा है मैने।

बस एक छोटा सा ख्वाब है मेरा।

तुम मुस्कुराती रहो हर सहर,
दोपहर शाम रात, चारो पहर।
तुम मुस्कुराती रहो हर सहर,
दोपहर शाम रात, चारो पहर।
जज़्बात पे अब क्या वाह करुँ।
जो समझू तुझे, बस आह भरूँ। 
ये जो कैद हैं आँखों में समन्दर,
आज बह जाने दे मेरे 'एहबाब'।

ये जो तेरे मोती से अश्क़ बहते हैं,
मुझे कहीं ज्यादा तक़लीफ देते हैं।
तुझसे कोई नाता नहीं है फिर भी,
तेरे आँसू मेरी आँखों से बहते है।

कह दे तू, कस के गले लगा लूँ,
तेरे हर गम को अपना बना लूँ।
जो कभी तुझे चाहिये हो साथ,
मै पहिया, तुझे मेरा रथ बना लूँ।

हसरत नहीं मेरी तुझे पाने की,
ना चाहत पलकों पे बैठाने की।
चाह के भी कुछ ना कर सकूँ,
दुआ है बस तेरी हर खुशी की। तुम। हाँ तुम। तुमसे कह रहा हूँ।  पता है नहीं पढ़ोगी तुम। पढ़ती ही कहाँ हो। पर अगर पढ़ोगी तो समझ जाओगी ये तुम्हारे लिये ही लिखा है मैने।

बस एक छोटा सा ख्वाब है मेरा।

तुम मुस्कुराती रहो हर सहर,
दोपहर शाम रात, चारो पहर।
तुम मुस्कुराती रहो हर सहर,
दोपहर शाम रात, चारो पहर।

तुम। हाँ तुम। तुमसे कह रहा हूँ। पता है नहीं पढ़ोगी तुम। पढ़ती ही कहाँ हो। पर अगर पढ़ोगी तो समझ जाओगी ये तुम्हारे लिये ही लिखा है मैने। बस एक छोटा सा ख्वाब है मेरा। तुम मुस्कुराती रहो हर सहर, दोपहर शाम रात, चारो पहर। तुम मुस्कुराती रहो हर सहर, दोपहर शाम रात, चारो पहर। #yqbaba #yqdidi #yopowrimo #IkraashNaama