उजाले की हिमायत में रहते रहते अंधेरो से तो दुश्मनी ही कर ली थी मैंने भूल गयी थी शायद , दिन के बाद रात भी होती है। ग्रीष्म के बाद बरसात भी होती है।। उजाले के बाद आये,अंधेरों ने मुझे सिखा दिया, हिमायत में रहना किसी के अच्छा नही होता, किसी की बैचैनी को देख सबका दिल नही धड़कता।। उजाले की हिमायत में रहते रहते बहुत कुछ सीखा है मैंने बहुत कुछ पाया है मैंने बहुत कुछ खोया है मैंने या यूँ कहो,, खुद को एक नए रूप में पिरोया है मैंने।। #poem