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उठती ही नहीं ये निगाहें अब किसी और की तरफ, एक शक्

उठती ही नहीं ये निगाहें अब 
किसी और की तरफ,
एक शक्स का दीदार हमे इतना 
पाबंद कर गया..। मंत्रमुग्ध सा देखता रहा..।
उठती ही नहीं ये निगाहें अब 
किसी और की तरफ,
एक शक्स का दीदार हमे इतना 
पाबंद कर गया..। मंत्रमुग्ध सा देखता रहा..।
shravangoud5450

Shravan Goud

New Creator