"सफर ए अध्ययन" ~~~~~~~~~ बचपन में आम बालकों की ही तरह मेरा भी स्वभाव बहुत था हठी-जिद्दी और संकोची मुझे स्कूल जेलखाना लगता था और अध्यापक जल्लाद मुझे स्कूल ले जाया गया कंधों पर लादकर बांधकर किसी अपराधी की तरह पीट और घसीट कर क्योंकि मुझे स्कूल जाना लगता था सबसे बड़ा दंड अंततः मेरा नाम सरकारी से लिखा दिया गया एक प्राइवेट स्कूल मां कमला उच्चतर माध्यमिक में यहीं मेरे अध्ययन की नींव पड़ी बढ़ने लगी मेरी रुचि और लगने लगा मेरा मन पढ़ाई में फिर क्या शुरू हुई प्रतियोगिताओं की दौड़ कक्षा में अव्वल आने की प्रतिस्पर्धा अध्यापक की नजर में सर्वश्रेष्ठ बने रहने की चाह इसी तरह होते जाते मैंने कक्षा 1 से 10वीं तक की पढ़ाई की इसी एक स्कूल में इंटर किया मदन मोहन मालवीय करछना से और स्नातक इलाहाबाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय प्रयागराज से और अब कर रहा हूं बीएड श्री सच्चा अध्यात्म संस्कृत महाविद्यालय अरैल से। जय हिंद।। ©Narendra Sonkar "सफर ए अध्ययन"