मौज़ूदा दौर इस बात की गवाही दे रहा है कि-हमने अपनी घोर लापरवाहियों से इसे इज़ाद किया है।हम मान गए होते तो आज कोरोना की इस दूसरी लहर से पहली की तरह मुकाबला कर लेते।अवाम और सरकार को जन-धन का घाटा इतना नहीं होता।ख़ैर हिम्मत से सब ठीक हो रहा है फिर भी कहने वाले तो कहेंगे ही- बोया पेड़ बबूल का,आम कहाँ से होय। ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_147 👉 बोया पेड़ बबूल का आम कहाँ ते होय लोकोक्ति का अर्थ --- बुरे कर्मों से अच्छा फल नहीं मिलता। ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ दो लेखकों की रचनाएँ फ़ीचर होंगी।