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सुनो कॉमरेड, आज रास्ते में जब "बुढिया के बाल" खर

सुनो कॉमरेड, 
 आज रास्ते में जब "बुढिया के बाल" खरीदते हुए। एक बच्ची को देखा तो वो वक्त मेरे नयनो के समक्ष अपने बीज अंकुरित करने लगा। जब हम स्कूल से वापस जाते हुए चौराहे पर रामू काका की साईकिल पर सेट दुकान से बुढिया के बाल खरीदते थे। गुलाबी रंग की इस चीज को देख तुम्हारी आँखे गुलाबी हो जाती थीं। बगल में ही बरगद के पेड़ के नीचे बने चबूतरे पर बैठ जब बड़े चाव से हम इस मिठाई को खाते थे तब तुम अपना एक हाथ मेरी हथेली पर और सिर मेरे कंधे पर रख देतीं थी।मैंने कहीं सुना था कि "हाथों की उंगलियों के बीच जगह इस लिए होती है कि उनमें कोई और जगह बना कर हमारे साथ चल सके। तुम मेरी हथेली को अपनी नरम हथेली का दबाब देकर अक्सर बोलती थी कि "यार तू बिल्कुल इन "बुढिया के बाल" जैसा है।"
 मैं हँसते हुए पूछता था कि " वो कैसे ? " 
तुम कहती थी "जैसे ये मेरे मुहँ में जाकर खुद ब खुद मिठास घोल देते हैं,वैसे ही तू भी मेरे जीवन में मिठास घोलता रहता है पर कभी जताता नहीं।
*बुढिया के बाल- चीनी से बनने वाली एक प्रकार की रेशोंनुमा मिठाई। 
.... जलज कुमार " राठौर" #happybirthdaypmmodi सुनो कॉमरेड, 
 आज रास्ते में जब "बुढिया के बाल" खरीदते हुए। एक बच्ची को देखा तो वो वक्त मेरे नयनो के समक्ष अपने बीज अंकुरित करने लगा जब हम स्कूल से वापस जाते हुए चौराहे पर रामू काका की साईकिल पर सेट दुकान से बुढिया के बाल खरीदते थे। गुलाबी रंग की इस चीज को देख तुम्हारी आँखे गुलाबी हो जाती थीं। बगल में ही बरगद के पेड़ के नीचे बने चबूतरे पर बैठ जब बड़े चाव से हम इस मिठाई को खाते थे तब तुम अपना एक हाथ मेरी हथेली पर और सिर मेरे कंधे पर रख देतीं थी।मैंने कहीं सुना था कि "हाथों की उंगलियों के बीच जगह इस लिए होती है कि उनमें कोई और जगह बना कर हमारे साथ चल सके। तुम मेरी हथेली को अपनी नरम हथेली का दबाब देकर अक्सर बोलती थी कि "यार तू बिल्कुल इन "बुढिया के बाल" जैसा है।"
 मैं हँसते हुए पूछता था कि " वो कैसे ? " 
तू कहती थी "जैसे ये मेरे मुहँ में जाकर खुद ब खुद मिठास घोल देते हैं,वैसे ही तू भी मेरे जीवन में मिठास घोलता रहता है पर कभी जताता नहीं।
*बुढिया के बाल- चीनी से बनने वाले एक प्रकार की रेशोंनुमा मिठाई। 
.... जलज कुमार " राठौर"
सुनो कॉमरेड, 
 आज रास्ते में जब "बुढिया के बाल" खरीदते हुए। एक बच्ची को देखा तो वो वक्त मेरे नयनो के समक्ष अपने बीज अंकुरित करने लगा। जब हम स्कूल से वापस जाते हुए चौराहे पर रामू काका की साईकिल पर सेट दुकान से बुढिया के बाल खरीदते थे। गुलाबी रंग की इस चीज को देख तुम्हारी आँखे गुलाबी हो जाती थीं। बगल में ही बरगद के पेड़ के नीचे बने चबूतरे पर बैठ जब बड़े चाव से हम इस मिठाई को खाते थे तब तुम अपना एक हाथ मेरी हथेली पर और सिर मेरे कंधे पर रख देतीं थी।मैंने कहीं सुना था कि "हाथों की उंगलियों के बीच जगह इस लिए होती है कि उनमें कोई और जगह बना कर हमारे साथ चल सके। तुम मेरी हथेली को अपनी नरम हथेली का दबाब देकर अक्सर बोलती थी कि "यार तू बिल्कुल इन "बुढिया के बाल" जैसा है।"
 मैं हँसते हुए पूछता था कि " वो कैसे ? " 
तुम कहती थी "जैसे ये मेरे मुहँ में जाकर खुद ब खुद मिठास घोल देते हैं,वैसे ही तू भी मेरे जीवन में मिठास घोलता रहता है पर कभी जताता नहीं।
*बुढिया के बाल- चीनी से बनने वाली एक प्रकार की रेशोंनुमा मिठाई। 
.... जलज कुमार " राठौर" #happybirthdaypmmodi सुनो कॉमरेड, 
 आज रास्ते में जब "बुढिया के बाल" खरीदते हुए। एक बच्ची को देखा तो वो वक्त मेरे नयनो के समक्ष अपने बीज अंकुरित करने लगा जब हम स्कूल से वापस जाते हुए चौराहे पर रामू काका की साईकिल पर सेट दुकान से बुढिया के बाल खरीदते थे। गुलाबी रंग की इस चीज को देख तुम्हारी आँखे गुलाबी हो जाती थीं। बगल में ही बरगद के पेड़ के नीचे बने चबूतरे पर बैठ जब बड़े चाव से हम इस मिठाई को खाते थे तब तुम अपना एक हाथ मेरी हथेली पर और सिर मेरे कंधे पर रख देतीं थी।मैंने कहीं सुना था कि "हाथों की उंगलियों के बीच जगह इस लिए होती है कि उनमें कोई और जगह बना कर हमारे साथ चल सके। तुम मेरी हथेली को अपनी नरम हथेली का दबाब देकर अक्सर बोलती थी कि "यार तू बिल्कुल इन "बुढिया के बाल" जैसा है।"
 मैं हँसते हुए पूछता था कि " वो कैसे ? " 
तू कहती थी "जैसे ये मेरे मुहँ में जाकर खुद ब खुद मिठास घोल देते हैं,वैसे ही तू भी मेरे जीवन में मिठास घोलता रहता है पर कभी जताता नहीं।
*बुढिया के बाल- चीनी से बनने वाले एक प्रकार की रेशोंनुमा मिठाई। 
.... जलज कुमार " राठौर"