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हर घड़ी क्यों काटों में उलझने की बातें करते हो । क

हर घड़ी क्यों काटों में उलझने की बातें करते हो ।
काँटों में उलझ कर यूँ क्यों ख़ुद को लहूलुहान करते रहते हो ।।

 छोटी सी  है ये जीवन की कहानी ।
गुलाब के लिए पंखुड़ियां क्यूं नहीं संयोजते हो ।।

बहती खुंशबू में डुबकी लगा मज़ा ले लो जी।
गुलाब की जान हथेली पर रख प्यार को गुलाबी क्यों नही करते ।।

आज ही प्यार के फुल के पौधे  कुछ  बो डालो जी।
आंगन कल की हो फूलों की बगियाँ जैसी क्यों नहीं सोचा करते ।।

यकीनन है सफर जीवन की काटों से भरी।
राह में गुलाबों की खुंशबू लेते क्यों नहीं चला करते ।।

निशीथ मशगूल है अपने जीवन के द्वंद्व में आजकल।
खाली वक्त भी कहाँ खाली है नियति के खेल में आजकल  ।।

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@निशीथ

©Nisheeth pandey
  #Gulaab 
हर घड़ी क्यों काटों में उलझने की बातें करते हो ।
काँटों में उलझ कर यूँ क्यों ख़ुद को लहूलुहान करते रहते हो ।।

 छोटी सी  है ये जीवन की कहानी ।
गुलाब के लिए पंखुड़ियां क्यूं नहीं संयोजते हो ।।

बहती खुंशबू में डुबकी लगा मज़ा ले लो जी।

#Gulaab हर घड़ी क्यों काटों में उलझने की बातें करते हो । काँटों में उलझ कर यूँ क्यों ख़ुद को लहूलुहान करते रहते हो ।। छोटी सी है ये जीवन की कहानी । गुलाब के लिए पंखुड़ियां क्यूं नहीं संयोजते हो ।। बहती खुंशबू में डुबकी लगा मज़ा ले लो जी। #Artist #creative #कविता #talaash #FriendshipDay #Streaks #Parchhai #TereHaathMein #BehtaLamha #ChaltiHawaa

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