रंग, दुनिया ने दिखाया है निराला देखूँ है अंधेरे में उजाला तो उजाला, देखूँ आईना रख दे मेरे सामने आखिर मैं भी कैसा लगता है तेरा चाहने वाला देखूं कल तलक वो जो मेरे सर की कसम खाता था आज सर उसने मेरा कैसे उछाला देखूं मुझसे माजी मेरा कल रात सहम कर बोला किस तरह मैंने यहाँ खुद को संभाला देखूँ जिसके आँगन से खुले थे मेरे सारे रस्ते उस हवेली पे भला कैसे मैं ताला देखूँ #My#shayari#MR¥Dr kumarvishwaspoetry follow me onNojoto for more shayari