अभी अभी वो सरासर बुराई देने लगा है,की जब से अंधों को दिखाई देने लगा है//१
तुझे गुमा भी नही,तेरी एक बेजा हरकत से,पोशीदा (छुपाहुवा)था जो राज तुझमें,दिखाई हमे देने लगा है//२
किसी पे हाथ उठाकर,वो नजर से गिर गई इतनी,कि उसके जैसे,उसे पीठ थपथपाई देने लगा है//३ बदबखत तेरी हमदर्दी तो और भी बदतर निकली,कि अब चर्ब जबा से तू दुहाई देने लगा है//४
खुदा का शुक्र है,शमा के चमन में अब गुल खिलने लगा है,खुदा मेरी बेटियो को बेटो पर फजीलत/बड़ाई) देने लगा है//५
स्वरचित 15/4/21
शमीम अख़्तर शमा write✍️
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