धड़कनों पर राज करने वाले वो अब कहाँ रहे अब तो फ़क़त लफ़्ज़ों के सौदागर ही रह गए ! शब्दों से सहलाकर लूट लेते हैं वो सब कुछ हसीन ख़्वाबों को बेच रहे बाज़ीगर ही रह गए ! उनके लफ़्ज़ों पे तन, मन, धन क़ुर्बान हुआ था अब तो महज़ ख़ाली सुराही-साग़र ही रह गए ! आदतों को लग़ाम देना इतना आसान भी नहीं जिनके लहू में था सितम, सितमगर ही रह गए ! खुशियों ने साथ कहाँ निभाया मलय दूर तक कुछ ग़मों के साये थे जो हमसफ़र ही रह गए !