मैं तो वहाँ से भी गुजरा हूँ,जहाँ खुशियों की बिछती थी लाशें, मैं तो वहाँ से भी गुजरा हूँ जहाँ खून के आँसुओं में मिलती थी आँखें, हर दर्द का बना हूँ मै हमराही,अब सहना इन दर्दों को आदत लगती है, अगर दो पल की खुशियाँ भी मिल जाए,तो किसी टूटे आशिक की शरारत लगती है, इतने ज़ख्मों की बाहों में खेला हूँ कि मौत से मिलना तो कोई खेल लगता है, जो रोज खुशियों से मिलते है उन्हें क्या पता मेरे लिए रोज एक नया कफन सजता है ।। #olddiary #pain #life #2011 #yqbaba #yqdidi #yqbhaijan #shayari