"बिल्लियाँ और ख़रगोश" (full in caption) ये मैं हूँ सोफे पे शराब के नशे में डूबा हुआ ..पर मैं नशे में भी साफ़ साफ़ देख सकता हूँ इन बिल्लियों को..बिल्लियाँ जो मेरे सामने बैठी हैं फ़र्श पर.. एक दो बिल्ली मेरे सोफे पर भी हैं सब मुझे घूर रही हैं ..ये अक्सर ऐसा ही करती हैं, मैं बहुत दुत्कारता हूँ इन्हें फ़िर भी ये मेरे पीने के समय आकर बैठ जाती हैं और देखने लगती हैं गुस्से से मुझे..कभी कभी कोई बिल्ली मेरा गिलास या बोतल गिराने का भी प्रयास करती है तो मैं गुस्से में उसे दूर उछाल देता हूँ फिर भी वो वापस आकर मेरे पास बैठ जाती हैं..मैं कभी कभी कोशिश भी करता हूँ इन्हें प्यार से सहलाने की मगर गुस्से में गुर्रा कर ये अपना मुँह फेर लेती हैं..ये बिल्लियाँ मुझे याद दिलाती हैं मेरी पूर्व प्रेमिकाओं की... किसी की ऑंखें लीला जैसी हैं तो कोई प्रिया जैसी सुनहरे बालों की, एक बिल्कुल नेहा जैसा गुस्सा करती है, वो शायद अम्म्म श्यामली जैसी है और भी हैं कई। एक बिल्ली मेरी बीवी शीना जैसी भी लगती है मैं कितना भी दुत्कारता था लड़ता था वो मेरी देखभाल में कोई कमी नहीं छोड़ती थी कई बार नाराज़ होने पर मेरी बोतल भी छुपा देती थी ताक़ि मैं ज़्यादा नहीं पीऊं... कभी में दया करके प्यार दिखाने की कोशिश करता तो गुस्से में चिल्ला देती थी..मेरी सभी प्रेमिकाएँ मुझे बहुत चाहती थीं और मेरी पत्नी तो इन प्रेमिकाओं के बारे में जानने के बावजूद नाराज़ रहकर भी मेरा ख़्याल रखती थी...जिस दिन मैंने नशे में बीवी को घर से जाने को कहा था उसदिन भी वो जाते हुए बोली थी अपना ध्यान रखना कम पीना...ये सारी बिल्लियाँ मेरी ज़िंदगी की वही स्त्रियाँ हैं। मैं अगले जनम में ये स्त्रियाँ बनकर ये सब कैसे करती हैं समझना चाहता हूँ.. मैं ये बिल्लियाँ या यूँ कहूँ स्त्री होना चाहता हूँ! ये मैं हूँ शीना, अपने बगीचे में अकेली बैठी हुई, मेरा शरीर सिर्फ़ यहाँ है पर मेरी सोच मेरे मन के साथ उलझी है किसी और ग्रह पे..पर ये चारों और दौड़ते हुए ख़रगोश मेरा ध्यान भटका रहे हैं। मैं इनकी तरफ़ गौर से देख रही हूँ.. फुर्ती में यहाँ वहाँ भागते हुए मानो कभी न रुकने की कसम खाई हो! ये कभी कभी एक पल को मेरी और देखते हैं और मैं देखती हूँ इनकी आँखें.. बिल्कुल शांत और गहरी..मानो दिल की हर बात बोल देंगी, पर मेरे पर विश्वास होने के बाद ही कि मैं समझ जाऊँगी सब अनकहा भी..ये नहीं बताएँगे कि ये थक चुके हैं और इन्हें कुछ देर मेरी गोद में आराम चहिए.. ये चाह रहे हैं मैं ख़ुद समझूँ जैसे मेरे सभी पूर्व प्रेमी थे और मेरा पति.. मैं इन ख़रगोशों में उन सभी को देख रही हूँ रोबर्ट, रोहन, मिहिर, वो विक्की और ये वाला ख़रगोश इसकी आँखें बिल्कुल मेरे पति अर्जुन जैसी हैं याचना करती हुई कि मुझे समझो.. मैं कभी समझ नहीं पाई उन आँखों को, मुझे सिर्फ़ गुस्सा आता है कि बोलते क्यूँ नहीं जो मन मे है..इतना काम करते हो पर मेरे लिए वक़्त नहीं.. मुझे समझना चाहिए था इन आँखों को..मुझे देना चाहिए था बिना बोले प्यार का स्पर्श..पर हर दफ़ा के झगड़ों के कारण मेरे सारे प्रेमी मुझे एक एक करते छोड़ते गए, मैंने तब भी नहीं समझा और फिर शादी के बाद वही झगड़े अर्जुन के साथ... इन झगड़ो के कारण वो रोज़ शराब पीने लगा, घर के बाहर दोस्त और खुशियाँ ढूँढने लगा.. मैं तब भी नहीं समझी कि वो थक चुका है दौड़ते दौड़ते, ये ख़रगोश उसदिन भी रोना चाहते थे जब ये सब कछुआ रेस में हारे थे पर ख़रगोश का हमेशा मज़ाक उड़ाया गया और उसदिन गुस्से में जब उसने मुझे घर से निकाला था जब मैंने उसके उतरे हुए मुँह को देखकर गुस्से में बोल दिया था कि "जाओ अपनी शराब से बातें करो मुझे तो कुछ बताने से रहे" बिना ये जानने की कोशिश किये कि वो परेशान क्यूँ है.. मैंने तब भी नही समझा कि वो उदास है मुझे दोस्ती करनी चाहिए थी उसकी उदासी से तो शायद वो मुझे बता देता कि उसकी नौकरी चली गई ...मैंने इसी प्रकार अपने जीवन मे आये हर प्रेम को खो दिया..ये सारे ख़रगोश मेरी ज़िंदगी के वही पुरुष हैं जो मुझे प्रेम करते थे ..मैं अगले जन्म में ये पुरुष बनकर इनको समझना चाहती हूँ कि ये क्या सोचते हैं...मैं ये खरगोश या यूँ कहूँ पुरुष होना चाहती हूँ! #yqhindi #yqbaba #yqdidi #hindiquotes #पुरुष_स्त्री #pc_google #गद्य #कहानी