वो नही था मेरी क़िस्मत मेें, और ना हक़ीक़त हो पाया इश्क़ सच्चा था हमारा, तब ही ना मुक्कमल हो पाया दोष क़िस्मत का या, हक़ीक़त को मंज़ूर कुछ और था क़िस्मत और हक़ीक़त की जंग कहा कौन जीत पाया ♥️ Challenge-915 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।