पल्लव की डायरी लोकतंत्र का बाप बना था जग में खुद इबादत लिखता था मानवता का आका बन बढ़ाता था अपना व्यापार डॉलर के सामने नही टिकता था किसी देश का टकसाल आज वो जूझ रहा है हिंसा और मानवता की मार से ट्रम्प की ना समझी से लोकतंत्र का हिमायती देश जूझ रहा भीड़ तंत्र के दाँव से प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" लोकतंत्र का हिमायती देश जूझ रहा है भीड़ तंत्र के दाँव से #WashingtonDC