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वनवास राम का खुद बन गए है, रावण भी जिंदा है खुदमें

वनवास राम का खुद बन गए है,
रावण भी जिंदा है खुदमें,
हर सीता की लज़्ज़ घूर के,
खुदही खुदसे रामायण बन गए है।।
ख़ुदको खुदकी आदतों से बचा कर,
हर सुबह बस ज़िंदा होते है,
कभी लछ्मण जैसा घायल होके,
हम खुदकी जरूरत पर हनुमान बन जाते है।।
कभी विभीषण सा प्रभु की तालाश में,
घर बार भूल कर खुद खो गए है,
ना जाने खुदसे कब जीतेंगे,
हम खुदही खुदमें जीते चले गए है।।
हर रोज़ दिवाली की ख़ोज में हम तो,
खुदसे ही खुदही लड़ गए है,
क्या मारेगे हमको कोई राम,
हम खुदही पूरी रामायण बन गए है।। खुदही खुदसे रामायण बन गए है।।
#रामायण #हिन्दी #munasif_e_mirza #munasif_life #hindi #diwali #diwali2021
वनवास राम का खुद बन गए है,
रावण भी जिंदा है खुदमें,
हर सीता की लज़्ज़ घूर के,
खुदही खुदसे रामायण बन गए है।।
ख़ुदको खुदकी आदतों से बचा कर,
हर सुबह बस ज़िंदा होते है,
कभी लछ्मण जैसा घायल होके,
हम खुदकी जरूरत पर हनुमान बन जाते है।।
कभी विभीषण सा प्रभु की तालाश में,
घर बार भूल कर खुद खो गए है,
ना जाने खुदसे कब जीतेंगे,
हम खुदही खुदमें जीते चले गए है।।
हर रोज़ दिवाली की ख़ोज में हम तो,
खुदसे ही खुदही लड़ गए है,
क्या मारेगे हमको कोई राम,
हम खुदही पूरी रामायण बन गए है।। खुदही खुदसे रामायण बन गए है।।
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