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जानते थे वो मुहब्बत में दगा कर रहा था, गलती "कातिब

जानते थे वो मुहब्बत में दगा कर रहा था,
गलती "कातिब" की वफ़ा की क्यों सजा ली दुनिया।।

- कातिब
read full gazal in caption हमसे सम्भली नहीं हमने न सम्भाली दुनिया,
इक दिखावे की है बस्ती ये निराली दुनिया।।

वो जो मंज़िल पे खड़ा शख्स तुम्हें दिखता है,
उसकी इज़्ज़त थी कभी सबने उछाली दुनिया।।

वो जो कहती है की तुम तो मिरी आँखे हो जी,
माँ के बिन लगती है सब हमको ये खाली दुनिया।।
जानते थे वो मुहब्बत में दगा कर रहा था,
गलती "कातिब" की वफ़ा की क्यों सजा ली दुनिया।।

- कातिब
read full gazal in caption हमसे सम्भली नहीं हमने न सम्भाली दुनिया,
इक दिखावे की है बस्ती ये निराली दुनिया।।

वो जो मंज़िल पे खड़ा शख्स तुम्हें दिखता है,
उसकी इज़्ज़त थी कभी सबने उछाली दुनिया।।

वो जो कहती है की तुम तो मिरी आँखे हो जी,
माँ के बिन लगती है सब हमको ये खाली दुनिया।।