क्या फर्क होता है, इस अमीरी और गरीबी में। वही जो होता है खुशनसीबी और बदनसीबी में। लोग तरसते रहते हैं अपनों से मिलने की ख़ातिर। बहुत सुख मिलता है, अपनों की करीबी में। चंद पैसों से यहाँ लोगों को अमीर बनते देखा है। वो सुकूँ कहाँ लोगों को, जो सुकूँ मिलता गरीबी में। मुफ़लिसी में दिन गुजारे हैं हमने भी कई रोज। बहुत सुकूँ मिला हमें तो अपनों और हबीबी में। हालात बदलने पे भूल जाते है अपने बीते वक़्त को। लोग यहाँ जीते हैं जिंदगी, बहुत ही शरीफी में। अरे जाओ किसी दिखाते हो, तुम अपने पैसों को। पाओगे वो सुकूँ कहाँ, जो है अपनों की करीबी में। अमीर और गरीब (#kkअमीरऔरगरीब) 18 अप्रैल 2021 क्या फर्क होता है, इस अमीरी और गरीबी में। वही जो होता है खुशनसीबी और बदनसीबी में। लोग तरसते रहते हैं अपनों से मिलने की ख़ातिर। बहुत सुख मिलता है, अपनों की करीबी में।