बोहोत कहा मगर कितना अनकहा रह गया जो कहा भी उसमें कितना अनसुना रह गया जब लब थे खामोश तो नज़रें बोलती थीं कुछ समझे और कुछ दिल मे उतरना रह गया खामोशियाँ जायज़ हैं, चुप रहना शायद बेहतर बातों के बोझ से ये दिल का मंदिर ढह गया मुद्दे तो दो ही थे अपने मुहब्बत और ज़िन्दगी दुनियादारी के तूफान में मंज़र अपना बह गया बोहोत कहा मन ने मेरे पर कितना कहना रह गया Jai कितना कुछ अनकहा रह गया... #अनकहारहगया #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi