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कोई संभालो मुझे वो सामने खड़ी है नज़रे झुकाए कुछ न

कोई संभालो मुझे वो सामने खड़ी है 
नज़रे झुकाए कुछ न कह रही है 
न नज़रे हट रही है न नज़रे मिल रही है 
कोई बता दो उसे क़यामत लग रही है 

खामोशी बढ़ रही है  बेताबी सी लगी है 
हलकी सी हंसी है झुलफें भी खुली 
कोई छुपा दो उसे मेरी धड़कने बढ़ रही है 

घड़ी रुक सी गई है दिल बस में नहीं है 
कोई सम्भालो मुझे वो सामने खड़ी है 
नज़रे झुकाए कुछ न कह रही है

©Puspesh Raj
  woo
puspeshraj8877

Puspesh Labh

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