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सर्वप्राचीन संस्कृत की सर्वप्रिय सुता है हिंदी, सभ

सर्वप्राचीन संस्कृत की सर्वप्रिय सुता है हिंदी,
सभी भाषाओं की सर्वश्रेष्ठ भगिनि है हिंदी,
भाषा बहता निर्झरिणी सा अमृत नीर हैं हिंदी,
अति अमूल्य अक्षरनोक्ति की सु रचना है  हिंदी,

सुनिष्ठ,सुसंस्कृत,सुसभ्य,सुलभ्य सार है हिन्दी,
सरल है,सहज है,सुंदर है सुरों की साज है हिंदी,
मीठी है ,मनोरम है,हृदय के तार से जुड़ी है हिन्दी,
तेजस्वीनी,ओजस्वनि,ऋषियों मुनियों की हैं हिंदी,

मन के भावों की,माँ के दुलार की प्यारी है हिंदी,
बालक की प्रथम बोली व शिक्षिका सम है हिंदी,
गद्य,पद्य,नाटक,कथा,कहानी जीवनी में है हिन्दी,
मीरा भक्ति, कबीर के दोहे,घनानंद सुजान है हिन्दी,

असीमित,असीम,शाश्वत हृदयस्पर्शी साहित्य है हिन्दी,
सभी को साथ ले चले,सब को हृदय में दे स्थान है हिन्दी,
मेरा मान है,मेरा अभिमान है, मेरा गौरवगान है हिंदी,
विश्वजगत में जानी जाये ऐसी हिंदुस्तान की शान है हिंदी।

🙏सभी की हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं🙏
निशा कमवाल सर्वप्राचीन संस्कृत की सर्वप्रिय सुता है हिंदी,
सभी भाषाओं की सर्वश्रेष्ठ भगिनि है हिंदी,
भाषा बहता निर्झरिणी सा अमृत नीर हैं हिंदी,
अति अमूल्य अक्षरनोक्ति की सु रचना है  हिंदी,

सुनिष्ठ,सुसंस्कृत,सुसभ्य,सुलभ्य सार है हिन्दी,
सरल है,सहज है,सुंदर है सुरों की साज है हिंदी,
मीठी है ,मनोरम है,हृदय के तार से जुड़ी है हिन्दी,
सर्वप्राचीन संस्कृत की सर्वप्रिय सुता है हिंदी,
सभी भाषाओं की सर्वश्रेष्ठ भगिनि है हिंदी,
भाषा बहता निर्झरिणी सा अमृत नीर हैं हिंदी,
अति अमूल्य अक्षरनोक्ति की सु रचना है  हिंदी,

सुनिष्ठ,सुसंस्कृत,सुसभ्य,सुलभ्य सार है हिन्दी,
सरल है,सहज है,सुंदर है सुरों की साज है हिंदी,
मीठी है ,मनोरम है,हृदय के तार से जुड़ी है हिन्दी,
तेजस्वीनी,ओजस्वनि,ऋषियों मुनियों की हैं हिंदी,

मन के भावों की,माँ के दुलार की प्यारी है हिंदी,
बालक की प्रथम बोली व शिक्षिका सम है हिंदी,
गद्य,पद्य,नाटक,कथा,कहानी जीवनी में है हिन्दी,
मीरा भक्ति, कबीर के दोहे,घनानंद सुजान है हिन्दी,

असीमित,असीम,शाश्वत हृदयस्पर्शी साहित्य है हिन्दी,
सभी को साथ ले चले,सब को हृदय में दे स्थान है हिन्दी,
मेरा मान है,मेरा अभिमान है, मेरा गौरवगान है हिंदी,
विश्वजगत में जानी जाये ऐसी हिंदुस्तान की शान है हिंदी।

🙏सभी की हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं🙏
निशा कमवाल सर्वप्राचीन संस्कृत की सर्वप्रिय सुता है हिंदी,
सभी भाषाओं की सर्वश्रेष्ठ भगिनि है हिंदी,
भाषा बहता निर्झरिणी सा अमृत नीर हैं हिंदी,
अति अमूल्य अक्षरनोक्ति की सु रचना है  हिंदी,

सुनिष्ठ,सुसंस्कृत,सुसभ्य,सुलभ्य सार है हिन्दी,
सरल है,सहज है,सुंदर है सुरों की साज है हिंदी,
मीठी है ,मनोरम है,हृदय के तार से जुड़ी है हिन्दी,