~ तमन्ना ~ तमन्ना साथ का है, या महज ये दिल्लगी है, कि चाहत है ये वाकई या मुक़म्मल बेख़ुदी है। अब तक समझ न पाया कि क्या चाहता हूँ, है सबकुछ पास में फिर भी न जाने क्या कमी है। पूरी ग़ज़ल कैप्शन में पढ़ें। तमन्ना साथ का है या महज ये दिल्लगी है, कि चाहत है ये वाकई या मुक़म्मल बेख़ुदी है, अबतक समझ न पाया कि क्या चाहता हूँ, है सबकुछ पास में फिर भी न जाने क्या कमी है, महफूज़ मेरे अश्क़ मेरी आँखों में हैं,