किसी अज़नबी से इतना न मिलो कि लगाव हो जाये। गर कभी बंद हो जाये मिलना तो कहीं न घाव हो जाये। मिलना-बिछुड़ना तो दस्तूर है इस जिंदगी का मगर, संभालिये खुद को ,कहीं ये न डगमगाती नाव हो जाये। #चतुष्पदी #विश्वासी