जब रावण माता सीता को अपहरण करके ले गया लंका तब राम और लक्ष्मण माता सीता की खोज में भटक रहे वन वन हताश और निराश हाथ लगी मन में उठ रही थी शंका.. सीते-सीते पुकारत राम, व्याकुल नैन, थके ना पाँव.. चलते-चलते सबरी की कुटिया पहुँचे राम.. सबरी के झूठे बैर बड़े प्यार से खाए.. और इस दृश्य को देख तीनों लोक के देवता मुस्कुराए.. वन पर्वत ढूंढते ढूढ़ते पहुँचे वो त्रिशमुक पर्वत के समीप वहीं पे वनराज सुग्रीव अपने दलों संग रहता था निभीक उनके दल में एक राम भक्त हनुमान जी भी थे राम और लक्ष्मण को पर्वत की ओर बढ़ता देख सुग्रीव को हुए चिंता कही उसके भाई बाली के द्वारा भेजा गुप्तचर तो नहीं हनुमान जी को दी इजाजत पता करने की कौन है वो दोनों किसने भेजा है उन्हें किस मक़सद से त्रिशमुक पर्वत की ओर बढ़ रहे है दोनो हनुमानजी ने वेश बदलकर राम और लक्ष्मण का राज पता करने निकल पड़े राम और लक्ष्मण के समीप जाकर पूछताछ करने लगे। पूछताछ करने पे पता चला कि वो दशरथ पुत्र राम और लक्ष्मण है प्रभु को साक्षात देख पाने समीप तुरंत असली रूप में आ गए हनुमान सारे कारण जान कर वानरराज सुग्रीव से मिलाने वास्ते अपने कंधे पे बिठा ले उड़े वो महाबली..! ©rishika khushi राम हनुमान मिलन #NojotoRamleela #NojotoRamleela #NojotoWritters #12oct #रामहनुमानमिलन