तुम अपने अंदर बसा लो थोड़ा सा "अवध", मैं कुछ-कुछ "काशी" की हो जाऊँ, दो शहरों की इस मोहब्बत का ज़िक्र हो ज़रा ज़ोरों-शोरों से, तुम "गोमती" पर लिखो कोई बेहतरीन ग़ज़ल मै गंगा पर कविता लिखते-लिखते कहीं खो जाऊँ..।। #yqbaba #yqdidi #काशी_और_अवध_की_मोहब्बत