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कभी भूली हुई यादों के, कभी बिसरी हुई बातों के। परि

कभी भूली हुई यादों के,
कभी बिसरी हुई बातों के।
परिन्दे उड़ गये ऐसे की,
घर हो ही नही उनका। Nothing for caption..
कभी भूली हुई यादों के,
कभी बिसरी हुई बातों के।
परिन्दे उड़ गये ऐसे की,
घर हो ही नही उनका। Nothing for caption..

Nothing for caption.. #Poetry