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जो बेच खाएं ज़मीर अपना हमे ऐसे बंदों को सलाम नही। उ

जो बेच खाएं ज़मीर अपना
हमे ऐसे बंदों को सलाम नही।
उठ जाए जात पात से ऊपर
ऐसा किसी मे भी इमान नही।
करदे सारा जीवन देश के नाम
अब यहाँ ऐसा कोई इंसान नही।
खुद में हो जो सादगी की मिसाल
क्योंकि यहाँ हर कोई कलाम नही।
 #kalambirthday
जो बेच खाएं ज़मीर अपना
हमे ऐसे बंदों को सलाम नही।
उठ जाए जात पात से ऊपर
ऐसा किसी मे भी इमान नही।
करदे सारा जीवन देश के नाम
अब यहाँ ऐसा कोई इंसान नही।
खुद में हो जो सादगी की मिसाल
क्योंकि यहाँ हर कोई कलाम नही।
 #kalambirthday