(Read in caption) बस इतनी सी गुज़ारिश थी, ज़िन्दगी तुझ संग गुज़ारनी थी, हुई क्या खता मालूम ही ना पड़ा, किया नज़रंदाज़ तुमनें हमें पता ही ना चला, हम समझते रहें तुम उलझे हो किसी काम में, काम तों बस बहाना था तुम्हारा, तुम तो मशगुल थे नए यार बनाने में, हमनें तो चाही थी दोस्ती तुम्हारी,