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ग़म से वो दो चार था, खुशियां भी कहां पास था। इस भी

ग़म से वो दो चार था, खुशियां भी कहां पास था।
इस भीड़ में  तनहा था, उसका चेहरा उदास था।।

©Md Shaukat Ali "Saani"
  ग़म से वो दो चार था, खुशियां भी कहां पास था।
इस भीड़ में  तनहा था, उसका चेहरा उदास था।।
#udaasi
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Saani

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ग़म से वो दो चार था, खुशियां भी कहां पास था। इस भीड़ में तनहा था, उसका चेहरा उदास था।। #udaasi

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