थे तुम सामने, न दिखा मुझे और कोई,, सुना था बहुत, पर जब महसूस हुआ तो समझ आया,, के ये आशिक़ी है, अंधों का शहर कोई,, महोब्बत में महबूब सा दिखता नही कोई उसके सिवा भी जंचता नही कोई,, फ़िर कैसे न कह दूँ के ये अंधों की दुनिया है यहाँ ज्यादा समय तक हँसा नही कोई, अरुणा #अंधेरनगरी