जुदा होकर खुद से ख़फ़ा, कुछ तुम भी, हम भी। क्यूं ना कुछ करामात करते हैं, दोस्त बनकर ही सही, फिर से इक मुलाकात करते हैं। (full in caption)👇 कई दफा दो प्यार करने वालों के बीच गलतफहमियों और किसी बात को लेकर कहासुनी होने से रिश्ता टूट तो जाते हैं,पर अंदर का प्यार नहीं मरता।ज़िंदा रहता है हरपल,हर घड़ी याद दिलाता है बीते लम्हों की।कई बार दिल में आता है एकदुसरे से बात करें सब ठीक कर लें पर समझ नही आता शुरुआत कौन करे, कैसे करे? नंदिनी और नमन के ऐसे ही एक रिश्ते को बताती कुछ पंक्तियां यहां लिखी हैं- जुदा होकर खुद से ख़फ़ा, कुछ तुम भी, हम भी। क्यूं ना कुछ करामात करते हैं, दोस्त बनकर ही सही, फिर से इक मुलाकात करते हैं। तुम पूछोगे पहले जैसा,