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चुप थे जमानें के ताने खामोश होकर सुनती रही, थकी आ

चुप थे 
जमानें के ताने खामोश होकर सुनती रही,
थकी आंखों में टूटे ख्वाबों को बुनती रही।
सच होंगे सपने वक़्त की राहें तकती रही
कभी मिलेगी मंजिल ये सोच चलती रही।
कुन्दन बनने के लिए अग्नि में तपती रही,
महक सकूं फूल बन कांटो से घिरती रही।
उजड़े न घर मेरा,मैं दुश्मनों से बचती रही,
चुप रहते भी मैं जमाने को खटकती रही।
सच के संग संग झूठ के दर भटकती रही,
इंसाफ वास्ते दीवार पर सर पटकती रही।
ऊपरवाले पर भरोसा था इसलिए चुप थी,
सच होंगे सपने इकदिन इसलिए खुश थी।
JP lodhi 21/04/2021

©J P Lodhi. #PoetInYou
#poetryunplugged 
#Nojotowriters
#Nojotonews
#NojotoFilms 
#Nojotofaimly
#Poetry
चुप थे 
जमानें के ताने खामोश होकर सुनती रही,
थकी आंखों में टूटे ख्वाबों को बुनती रही।
सच होंगे सपने वक़्त की राहें तकती रही
कभी मिलेगी मंजिल ये सोच चलती रही।
कुन्दन बनने के लिए अग्नि में तपती रही,
महक सकूं फूल बन कांटो से घिरती रही।
उजड़े न घर मेरा,मैं दुश्मनों से बचती रही,
चुप रहते भी मैं जमाने को खटकती रही।
सच के संग संग झूठ के दर भटकती रही,
इंसाफ वास्ते दीवार पर सर पटकती रही।
ऊपरवाले पर भरोसा था इसलिए चुप थी,
सच होंगे सपने इकदिन इसलिए खुश थी।
JP lodhi 21/04/2021

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jagdishprasadlod3535

J P Lodhi.

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