ख़्वाबों के बाजार से मै भी एक ख्वाब ले आया हूं , खोलकर पिंजरे को आज केद पंछियों को आजाद कर आया हूं ।। ख़्वाबों के बाजार से मै भी एक ख्वाब ले आया हूं , ना जाने कब से खोया हुआ था ,अपने अंदर के अंधेरों में तुम मिले तो लगा अब मैं उजालों में फिर से लोट आया हूं , ख्वाबों के बाजार से ................... #ख्वाबों के बाज़ार से .......