चाय और चौपाल *°°°*°°°*°°°*°°°* वो घनघोर कुहरे का क़हर और ठंडी वाली शाम-ओ-सहर। वो सर्द सुबहों में आग की सेक सबको हँसाने के लिए दो-चार बातें फेंक। हाथों में आते ही गर्मा-गरम चाय, जाम के माफ़िक़ हम पर चढ़ जाये। चौपाल पर हम जैसे बेरोजगार मित्र, हमें भी चाय पर बुलाकर करते चर्चा विचित्र। सरसो के पीले फूलों के बीच नागिन डांस, लहलहाते हरे गेहूँ खेत में दीदी माँ संग बक़वास। मुरझाए नहीं हैं अभी तक उन यादों के फूल, उड़ती रही यादों में भी वो सुर्ख़ यादों की धूल। -रेखा "मंजुलाहृदय" ©Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय" चाय और चौपाल *°°°*°°°*°°°*°°°* वो घनघोर कुहरे का क़हर और ठंडी वाली शाम-ओ-सहर। वो सर्द सुबहों में आग की सेक सबको हँसाने के लिए दो-चार बातें फेंक।