उस पर,क्यों पाबंदी लगायी हैं इतनी क्यों खुशियों का गला घोट रहा हूँ कुछ तो मज़बूरी होंगी मेरी भी जो भहन को जीन्स पहनने से रोक रहा हूँ भहन