किन लफ़्ज़ों में बयाँ करू,. मै ज़िंदगानी बेटी की.... घर से लेकर ससुराल तक ताने बहुत ही सुनती हैं उफ्फ तक न करती वो,, हर दर्द को सह जाति है। माँ - बाप की इज़्ज़त का खयाल उसको हर पल रहता है, यही सोच कर उसके मन मे एक सवाल तो रहता है। जवाब उसे मिल जाता है, जब वह खुद माँ बन जाती है। माँ - बाप के डर का मतलब भी वो उस वक़्त समझ जाती है,.. जब वो बेटी खुद एक बेटी की माँ बन जाती है.... किन लफ़्ज़ों में बयाँ करू मै ज़िंदगानी बेटी की.... बड़ी दर्द नुमा है ये कहानी बेटी की।। © utkarsh #Betiyan #बेटी #Betiyan #feelings