नारी तू जननी है ************* नारी तू जननी है काली है दुर्गा है। गमों से निकलकर , तू अपनी शक्ती को पहचान ले। फिर ना कोई रक्तबीज, ना कोई महिषासुर बचे। उठ जाग अब तू कलम को, हथियार बनाना सीख ले। कर प्रहार लेखनी से, दुश्मन की जीत को हार बनाना सीख ले। ना कोई रावण ना कोई दु:शासन तेरा अब अपमान करे। कलयुग में कोई कृष्ण नहीं है, अपनी रक्षा तू स्वयं करें। नारी तू जननी है काली है दुर्गा है। क्षीणता (कमजोरी) को छोड़ तू अपने प्राबल्य(शक्ति) को पहचान ले। फिर ना कोई जंजीर ना कोई पिंजरा तुझको कैद करें। परतंत्रता की बेड़ियों से तू स्वयं को आजाद करें। नारी तू जननी है काली है दुर्गा है। तू चाहे तो अम्बर को भी धरती पर ला सकती है। चीर के बादल का सीना चाॅंद पर जा सकती है। हौसला अपना कर बुलंद अब आगे बढ़ना सीख ले। नारी तू जननी है काली है दुर्गा है। उठ जाग अब कलम को हथियार बनाना सीख ले। रचनाकारा- श्वेता कुमारी(श्वेता पंकज राय) ©Sweta pankaj rai #womenimpowerment #motherlove