कोई लैला कोई राँझा कोई हीर लिखता है, कोई टूटे हुए दिल की यहाँ पर पीर लिखता है, लांघकर मुश्किलें ,मेहनत जो करता है ज़माने में, वही इंसान अपने हाथ से तक़दीर लिखता है। ©Krishan Gopal Solanki #Distant