फासले क्यों बढ़ रहे हैं आजकल। भाव भी क्यों चढ़ रहे हैं आजकल। क्या वज़ह यह खोजने को रोज ही- हम किताबें पढ़ रहे हैं आजकल। #मुक्तक #भाव_बढ़_रहा_है #विश्वासी 2122 2122 212