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रात के काले घने अंधेरे में, दुनिया से अलग होकर, तु

रात के काले घने अंधेरे में, दुनिया से अलग होकर,
तुम्हारी तस्वीर को तुम्हे मानकर
अपनी पुरानी यादों को ऐसे एहसास करता हु मैं, कि-

मानों-
तुम्हारे हाथ मेरे बालों से खेलने लगेगे ।
तुम्हे खुश देख मेरे होठ अपने आप खिंचने लगेगे ।
गलती किसी की भी होने पर हाथ हमारे एक दुजे के कान पकड़ने लगेगे।
हर थोड़ी देर में आंखे चार कर हम आपस में कस कर  बाहों में भरने लगेगे।

और तुम बस अपने लबों से, मेरे माथे पर
अपने होने का ऐहसास रख दोगी।
और ये प्यारी से Good Night, Good Morning  हो जाएगी।

बिना पलकें झुकाएं तुमसे नजरें तो मिलाता हूं,
पर मैं ही जानता हूं, तुम्हारे बाद वक्त कैसे गुजारता हूं।

तुम प्यार से मुस्कुराकर पागल तो कहती हो,
पर तुम भी जानती हो तुम्हारे नहीं होने पर,
ये तस्वीरें एक अलग ही सूकून देती है।

मेरे सारे शोर कर रहे खयालों को जैसे कोई पल भर में शांत कर जाता है,
और तुम्हारा ये बाबू तुम्हे हर पल याद करता है।

मेरे सारे जज़्बातों को मानो कोई समझने लगता है,
मैं लाख ना चाहूं पर फिर भी आंख से आंसू छलकने लगता है।

अब इंतज़ार ना कराओ, तुम्हारे बिना सब सूना सूना लगता है।

मैं खुद को चुप करा कर मुस्कराकर कहता हूं,
मोहब्बत शायद अधूरी रही,
पर इतना तो चलता है।।

                                           - सौरभ पांचाल #_तुम्हारी_तस्वीर_
#_काली_रात_
#_तुम्हारी_यादें_
#_खुशी_भी_दुख_भी_
रात के काले घने अंधेरे में, दुनिया से अलग होकर,
तुम्हारी तस्वीर को तुम्हे मानकर
अपनी पुरानी यादों को ऐसे एहसास करता हु मैं, कि-

मानों-
तुम्हारे हाथ मेरे बालों से खेलने लगेगे ।
तुम्हे खुश देख मेरे होठ अपने आप खिंचने लगेगे ।
गलती किसी की भी होने पर हाथ हमारे एक दुजे के कान पकड़ने लगेगे।
हर थोड़ी देर में आंखे चार कर हम आपस में कस कर  बाहों में भरने लगेगे।

और तुम बस अपने लबों से, मेरे माथे पर
अपने होने का ऐहसास रख दोगी।
और ये प्यारी से Good Night, Good Morning  हो जाएगी।

बिना पलकें झुकाएं तुमसे नजरें तो मिलाता हूं,
पर मैं ही जानता हूं, तुम्हारे बाद वक्त कैसे गुजारता हूं।

तुम प्यार से मुस्कुराकर पागल तो कहती हो,
पर तुम भी जानती हो तुम्हारे नहीं होने पर,
ये तस्वीरें एक अलग ही सूकून देती है।

मेरे सारे शोर कर रहे खयालों को जैसे कोई पल भर में शांत कर जाता है,
और तुम्हारा ये बाबू तुम्हे हर पल याद करता है।

मेरे सारे जज़्बातों को मानो कोई समझने लगता है,
मैं लाख ना चाहूं पर फिर भी आंख से आंसू छलकने लगता है।

अब इंतज़ार ना कराओ, तुम्हारे बिना सब सूना सूना लगता है।

मैं खुद को चुप करा कर मुस्कराकर कहता हूं,
मोहब्बत शायद अधूरी रही,
पर इतना तो चलता है।।

                                           - सौरभ पांचाल #_तुम्हारी_तस्वीर_
#_काली_रात_
#_तुम्हारी_यादें_
#_खुशी_भी_दुख_भी_