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पांव कों छूकर कंधे पर ढुलक कर बाहों में जकड़ कर गल


पांव कों छूकर
कंधे पर ढुलक कर
बाहों में जकड़ कर
गले से लिपट कर
आँसुओ में भरकर
सिसक कर, सुबक कर
हँस कर खिलखिला कर जिनसे
ख़ुशी का इज़हार करता था
कोई अपना कोई ख़ास
कोई जाना पहचाना ना रहा
किसके पास जाऊँ बाँटने 
मेरी ख़ुशी का कोई ठिकाना ना रहा।।

©Pawan Shah
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